शनिवार, 2 जुलाई 2011

सिर्फ शिक्षकों को ही क्यों सभी सरकारी अधिकारियों को पत्रकारिता में
क्यों न लगा दिया जाए
कैसा रहेगा यदि सभी सरकारी पदाधिकारियों व कर्मचारियों को पत्रकारिता में
भी लगा दिया जाए
गुवाहाटी। यदि कोई सरकारी शिक्षक पत्रकारिता कर सकता है तो तो सरकारी
अधिकारी ऐसा क्यों नहीं कर सकते। कैसा हो यदि जिला उपायुक्त और पुलि स
अधीक्षक से लेकर सरकारी कार्यलयों में काम करने वाले बाबू भी नौकरी करने
के साथ पत्रकारिता करने लगे। जी यह मैं नहीं असम के शिक्षा मंत्री डा.
हिमंत विश्च शर्मा का सवाल है। सरकारी शिक्षकों पर पत्रकारिता करने से
रोक लगाने वाले इस शिक्षा मंत्री ने उनके इस कदम के विरोध करने वालों से
यह सवाल किया है। उन्होंने कहा है कि सिर्फ शिक्षक ही पत्रकारिता क्यों
करे। यदि शिक्षक को यह छूट मिलता है कि वे बच्चे को पढ़ाने से ज्यादा दिन
भर स्कूल में बैठ कर आज की स्टोरी के बारे में सोंचे तो फिर दूसरे
सरकारी अधिकारियों को ऐसा लाभ क्यों न मिले। पिछले दिनों पत्रकारों ने
शिक्षा मंत्री से सवाल किया कि क्या वे शिक्षकों को पत्रकारिता न करने
देने के फैसले पर अटल हैं, तो डा. शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य
के बुद्धिजीवियों और अखबार के संपादकों को पत्र लिख कर पूछा है कि उनकी
राय में क्या शिक्षकों को पत्रकारिता करने की छूट दी जानी चाहिए। और यदि
दिया जाना चाहिए तो फिर अन्य सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों को
क्यों नहीं। मंत्री महोदय ने उल्टे पत्रकारों से पूछ डाला कि क्यों न
सारे अधिकारियों को पत्रकारिता में लगा दिया जाए ताकि आप लोगों को स्टोरी
खोजने के लिए दिन भर सरकारी कार्यालयों का खाक न छानना पड़े। गुवाहाटी से
नीरज झा की रिपोर्ट

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