गुरुवार, 17 मार्च 2011

रूठे रब को मनाना आसान है, रूठे वरुण को मनाना मुश्किल

गुवाहाटी,१७ मार्च। रूठे रब को मनाना आसान है, रूठे वरुण का
मनाना मुश्किल। भाजपा के नेता आजकल गाने के इस बोल को खूब
गुनगुना रहें हैं। हालांकि वे खुले तौर पर स्वीकार नहीं करते हैं कि वरुण
नाराज हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि फायर ब्रांड नेता वरुण असम भाजपा पर
फायर हो गए हैं। वे मानने के लिए तैयार नहीं हैं। चुनाव समिति की
बैठक में पार्टी नेतृत्व के सामने साफ तौर पर असम चुनाव में प्रचार न
करने की धमकी दे चुके वरुण को मनाने में भाजपा नेताओं के पसीने
छूट रहें हैं। लेकिन अब साफ होता जा रहा है कि वरुण की नाराजगी कम
होने वाली नहीं है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि वरुण ने चुनाव प्रचार के लिए
आने से मना कर दिया है। वे चुनाव प्रभारी के रूप में नहीं बल्कि व्यक्तिगत
तौर पर सिर्फ एक प्रत्याशी के विधानसभा चुनाव में प्रचार करेंगे।
इधर पार्टी के नेताओं को पार्टी के चुनाव प्रभारी वरुण गांधी की भूमिका
और उनकी चुप्पी के बारे में मीडिया द्वारा पूछे जा रहे सवालों ने
परेशान कर रखा है। नेतागण किसी तरह से वरुण की शादी की बातों को
उठाकर बचने का प्रयास करते हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि जल्द ही वरुण
की नाराजगी खुल कर सामने आ जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि टिकट
वितरण में हुई गडबड से वरुण पूरी तरह आहत हैं। उनका कहना है कि
उन्होंने आम कार्यकर्त्ताओं से उनके मन मुताबिक उम्मीदवार देने का
वायदा किया था और जब उसे पूरा न कर सके तो किस मुंह से उनके पास
जाएंगे।
बुधवार को पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता तथा सांसद प्रकाश जावडेकर से यह
पूछे जाने पर कि वरुण नाराज क्यों हैं तो उन्होंने यह कह कर सवालों को
हल्का करने की कोशिश की कि वरुण हनीमून मना रहें हैं। उसी तरह से
आज जब विजय गोयल ने स्टार प्रचारकों की सूची घोषित की तो
संवाददाताओं ने उनसे पूछ डाले कि इसमें चुनाव प्रभारी का नाम क्यों नहीं
है तो गोयल ने कहा कि उनकी अभी-अभी शादी हुई है। हमें इतना कठोर
नहीं होना चाहिए।
हालांकि पार्टी के लिए आज यह एक अच्छी खबर रही कि कथित रूप से
टिकटों के वितरण में हुई उपेक्षा से नाराज नगांव के सांसद राजेन
गोहांई आज मान गए। पार्टी के मीडिया संयोजक मनोज सिंह ने सूचना दी
कि राजेन गोहांई शुक्रवार से चुनाव प्रचार करने में जुट जाएंगे। इससे
पहले विजय गोयल ने किसी भी सांसद की नाराजगी की खबरों का खंडन
किया था। हालांकि मंगलदै के सांसद रमेन डेका आज भी अपनी भडास
निकालते देखे गए।

बुधवार, 16 मार्च 2011

फिल्म दबंग की कलमुही ने प्रदेश भाजपा का मुह कर दिया लाल

गुवाहाटी,१६ मार्च।फिल्म दबंग की कलमुही (रज्जू) को वालीवुड के
खामोश मैन ने बच्ची कह कर प्रदेश भाजपा के दबंगई करने की चाहत पर
पानी फेर दिया है।दरअसल फिल्म दबंग के चुलबुल पांडेय (सलमान खान) की
हिरोईन सोनाक्षी को प्रदेश भाजपा चुनावी सभा में बुलाकर दबंगई करने
के प्रयास में थी,लेकिन पार्टी के ही नेता शाटगन शत्रुघ्न सिंहा ने सोनाक्षी
को बच्ची कह कर भाजपा को करारा झटका दे दिया है। सोनाक्षी के
बहाने प्रदेश के युवा मतदाताओं को लुभाने में जुटी प्रदेश भाजपा को
बिहारी बाबू ने कहा है कि बेटी सोनाक्षी अभी बच्ची है। हम सबको उसके
कैरियर की चिंता करनी चाहिए। प्रदेश भाजपा के नेताओं ने सोनाक्षी के
चुनावी सभा करने के मुद्दे पर बताया कि शत्रुघ्न सिंहा ने सोनाक्षी को सभा
करने से मना करते हुए कहा है, मैं हूं न। यानि बिहारी बाबू का कहना
था कि सोनाक्षी की उम्र और समय राजनीति के बारे में सोंचना नहीं बल्कि
सिर्फ और सिर्फ कैरियर के बारे में सोंचना है। पार्टी नेताओं ने
बताया कि सोनाक्षी के बारे में संपर्क करने पर शत्रुघ्न सिंहा ने चुटकी
लेते हुए कहा कि उन्हें असक्षम न माना जाए। उनका क्रेज खत्म नहीं हुआ है।
वे भीड जुटाने और युवाओं को पार्टी की ओर आकर्षित कर विरोधी
दलों को खामोश करने की कूबत रखते हैं।जब नहीं सकेंगे तो नई पीढी
को आगे का काम करने के लिए सौंपा जाएगा। इस संबंध में एक
राष्ट्रीय नेता ने बताया कि शत्रुघ्न सिंहा ने साफ तौर पर सोनाक्षी के आने
से माना नहीं किया है। अभी समय है और सोनाक्षी को अपने कैरियर से
संबंधित कार्यों से समय मिलेगा तो जरुर आएंगी।

शुक्रवार, 11 मार्च 2011

नीरज
गोगोई को को हैट्रिक बनाने से रोकने के लिए मैदान में उतरेंगे छह सीएम
गुवाहाटी,12 मार्च। मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार को हैट्रिक
बनाने से रोकने के लिए भाजपा अपने छह मुख्यमंत्रियों को असम विधान
सभा के चुनावी अभियान में उतारने जा रही है। यह सभी मुख्यमंत्री अपने राज्य
में हुए विकास का खांका मतदाताओं के सामने रख कर बताने का प्रयास
करेंगे कि आखिर किस प्रकार इन राज्यों में सत्ता बदलने के बाद विकास की
बयार बही है। इन सभी मुख्यमंत्रियों में पार्टी की प्राथमिकता बिहार के
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा झारखंड के मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा है।
पार्टी इन दोनो पडोसी राज्य के मुख्यमंत्री को स्टार प्रचारक के रूप
में प्रदेश के मतदाताओं के सामने पेश करने जा रही है। पार्टी के
नेताओं का मानना है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार न केवल हिन्दीउतारने जा रही है।
पार्टी की योजना है कि मुख्यमंत्री नीतिश और
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी प्रदेश के २० से २२ हिन्दी भाषी बहुल विधानसभा
क्षेत्रों में जम कर प्रचार करें तो अर्जुन मुंडा को ४० से ४५ चाय जनजाति
बहुल विधानसभा क्षेत्रों में उतारा जाए। पार्टी कुछ अन्य आदिवासी नेताओं
को यहां प्रचारक के रूप में उताने पर विचार कर रही है।
पार्टी सूत्रों ने बताया कि आज नई दिल्ली में पार्टी पदाधिकारियों की एक
बैठक हुई जिसमें इन बातों पर गंभीरता से विचार हुई। बैठक में चुनाव
प्रचार अभियान से जुडे नेताओं ने पार्टी नेताओं के सामने प्रस्ताव रखा कि
सभी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री को यहां चुनावी अभियान में उतारा
जाए। जिसमें बिहार और झारखंड के साथ गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी
का नाम प्रमुखता से लिया गया। सूत्रों के अनुसार पार्टी नेतृत्व नें प्रदेश
भाजपा को प्रचार अभियान के लिए पूरी सूची भेजने का निर्देश दिया है।
इधर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता तपन चौधरी ने बताया कि सातों भाजपा शासित
राज्यों के मुख्यमंत्री और एक उपमुख्यमंत्री के साथ एक दर्जन से अधिक
सांसद व वरिष्ठ नेताओं के साथ हेमा मालिनी, स्मृति ईरानी और नवजोत
सिंह सिद्धू मुख्य प्रचारक होंगे। उन्होंने बताया कि संभवतः अगले सप्ताह से
प्रचार अभियान शुरू हो जाएगा।
भाषी मतदाताओं को भाजपा की ओर आकर्षित करने में सफल होंगे बल्कि
बिहार में हुए बदलाव के लिए वे असमिया भाषी मतदाताओं को भी लुभा
पाएंगे। वहीं अर्जुन मुंडा को भाजपा आदिवासी मतों को ध्यान में रख कर

मोदी फैक्टर में फिर फंसी भाजपा

मोदी फैक्टर में फिर फंसी भाजपा
गुवाहाटी,१२ मार्च। बिहार में तो नीतीश कुमार अड गए थे, लेकिन असम में भाजपा का ही एक धडा विरोध के स्वर बोलने लगा है। चुनाव समिति में यह चर्चा जोर पकड रही है कि बिहार से सीख लेते हुए नरेन्द्र मोदी को यहां नहीं लाया जाए। ताकि पार्टी को बिहार का परिणाम यहां हासिल करने में सफलता मिल सके। बिहार के चुनाव परिणाम से उत्साहित भाजपा के नेताओं को लगता है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी के न बुलाने से अल्पसंख्यक वोट मिल पाएगा। वहीं दूसरे धडा का मानना है कि हिन्दूवादी छवि वाले नरेन्द्र मोदी हिन्दू मतों को बढाने में सहायक होंगे। साथ ही वे एक विकास पुरुष के रूप में प्रदेश के मतदाताओं के सामने पार्टी की एक विकास परक छवि को पेश कर सकेंगे। इस धडे का यह भी मानना है कि यदि नरेन्द्र मोदी चुनावी प्रचार में उतरते हैं तो वे बंटे हुए हिन्दू मतदाताओं को प्रभावित कर पाएंगे। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता का कहना था कि नरेन्द्र मोदी खासकर युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं और विकास की राह देख रहें प्रदेश के युवाओं को वे आकर्षित कर पाएंगे। क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी की सभा में काफी भीड उमरती थी और इस भीड में अधिकांश युवा शामिल थे।इस संबंध में संघ से जुडे एक नेता से यह पूछने पर कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को विधानसभा चुनाव के प्रचार अभियान में उतारना क्या आत्म घाती नहीं होगा तो उनका कहना था कि इस प्रदेश में सिर्फ नरेन्द्र मोदी जैसे नेताओं की जरुरत है। ताकि हिन्दूवाद को जगाया जा सके। उनका यह भी कहना था कि बंग्लादेशी घुसपैठ,सत्रों की जमीन पर घुसपैठियों का कब्जा, खुली सीमा, ईसाई मिशनरियों का बढता प्रभाव और मतदाता सूची और जनसंख्या में आश्चर्यजनक बढोत्तरी इस प्रदेश पर आने वाले संकट की ओर इशारा करता है और यदि भाजपा अल्पसंख्यक मतों के पीछे दौडती है तो यह कदम उनके लिए आत्मघाती बन जाएगा। उनका कहना था कि बिहार की कहानी कुछ और थी और वहां पार्टी की जीत इसलिए नहीं हुई कि नरेन्द्र मोदी नहीं गए , बल्कि सचाई यह है कि मोदी के न जाने से वोटों में और इजाफा होता।