नितिन  गडकरी का सपना चनकनाचूर हो सकता है असम चुनाव में
असम  भाजपा में बर्चस्व की लडाई, पार्टी नेतृत्व और सांसदों में टकराव शुरू 
  अगले कुछ समय में होने वाले पांच राज्यों के चुनाव में सबसे ज्यादा आस
पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को इस प्रदेश से है,लेकिन जिस तरह से पार्टी के हित को दरकिनार
कर बर्चस्व की लडाई शुरु हो गई है, गडकरी का सपना चकनाचूर होता दिख रहा है।अगप नेता
सर्वानंद सोनोवाल के आने से ऊपरी तौर पर भाजपा नेता पार्टी को मजबूत होने का दावा कर रहें हैं,
लेकिन अंदरूनी सधाई यह है कि पार्टी के अंदर वर्चस्व की लडाई चरम पर है। पार्टी में जमकर
गुटबाजी चल रही है। सभी बडे नेता अपनों को टिकट दिलाने के लिए जोड -तोड कर रहें हैं। क्योंकि
ये लोग मुख्यमंत्री बनने का  सपना देख रहें हैं।
पार्टी के अंदर चल रही अंदरुनी लडाई का एक उदाहरण पिछले ६ फरवरी को पहली बार बुलाई गई
चुनाव समिति की बैठक में देखने को मिली। खानापाडा स्थित ग्रीनवुड रिसोर्ट में बुलाई बैठक में
नगांव के सांसद राजेन गोंहाई प्रदेश भाजपा नेतृत्व के रवैये से नाराज होकर उठ कर चले गए।
फलस्वरूप बैठक स्थगित हो गई थी। पार्टी के चुनाव प्रभारी वरुण गांधी के यह निर्देश कि
,प्रत्याशियों को जल्द टिकट दिया जाए, को दरकिनार कर काफी देर से बुलाई गई चुनाव समिति की
पहली बैठक को स्थगित होने के बाद फिर से आगामी १६ फरवरी को बैठक बुलाई गई है। यह बैठक
भी असफल होने की संभावना दिख रही है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि चारों सांसदों के क्षेत्रों में
कमजोर और हारे हुए नेताओं को टिकट देने की सिफारिश कर रही है, जिससे चारो सांसद क्षुब्ध हैं
और उन्होंने चुनाव समिति की बैठकों में भाग न लेने का मन बना लिया है।  चारों सांसद एकजुट
हो गए हैं। सांसदों ने साफ कर दिया है कि उन्हें कमजोर करने के लिए गलत और हारने वालों को
टिकट दिया जा रहा है और इससे बर्दास्त नहीं किया जाएगा।
सूत्रों का कहना था कि पार्टी की ओर से चारों सांसदों के क्षेत्रों में ऐसे लोगों को टिकट दिया जा रहा
है जो पिछले चुनावों में मात्र तीन से चार हजार वोट ही प्राप्त हुआ था।
सूत्रों ने बताया कि पार्टी नेतृत्व और सांसदों में चल रहे टकराव से पार्टी के प्रदेश चुनाव प्रभारी वरुण
गांधी ने चुनाव समिति की बैठकों में आना से मना कर दिया है, जबकि संगठन प्रभारी विजय
गोयल काफी परेशान है।