रविवार, 1 सितंबर 2013

असम के गोरखाओं ने एनआरसी अद्यतन से पहले डी वोटर की समस्या खत्म करने की उठाई मांग

नीरज असम के गोरखाओं ने एनआरसी अद्यतन से पहले डी वोटर की समस्या खत्म करने की उठाई मांग गुवाहाटी,।असम में रह रहे गोरखा समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक का दर्जा देने की जरुरत बताते हुए अखिल असम गोरखा सम्मेलन ने डी वोटर की समस्या को खत्म करने के बाद ही एनआरसी अद्यतन का कार्य शुरू करने की मांग राज्य सरकार से की है। मुख्यमंत्री से मिल कर अपनी विभिन्न मांगों को रखने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुए सम्मेलन के अध्यक्ष काशीनाथ उपाध्याय और महासचिव गंगा ढाकाल ने कहा कि राज्य में रह रहे गोरखा समाज कई समस्याओं से जूझ रहा है। जिसमें डी वोटर और सीमावर्ती इलाकों में समुदाय से जुड़े लोगों की हत्या और अपहरण प्रमुख है। उन्होंने कहा कि पिछले 16 वर्षों में खासकर शोणितपुर, कार्बी आंग्लांग और बीटीएडी में गोरखाओं की सुरक्षा खतरे में बनी हुई है। क्योंकि इन इलाकों में रहने वाले कम से कम 70 गोरखाओं का अपहरण कर हत्या कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि राज्य भर में करीब 30 लाख गोरखाओं की आबादी है। जिसमें से 28 हजार लोगों को डी वोटर की सूची में डाल दिया गया है। इसलिए सरकार से उनकी मांग है कि एनआरसी अद्यतन करने से पहले डी वोटर की समस्या को खत्म किया जाए। ढाकाल ने कहा कि सम्मेलन ने मुख्यमंत्री से अपनी अन्य मांगों के साथ गोरखाओं की साहित्य और संस्कृति की रक्षा के लिए उचित कदम उठाने, 15फीसदी गोरखा छात्र-छात्राओं वाले स्कूलों में नेपाली भाषा की पढ़ाई शुरू करने और महानगर के आसपास एक माडर्न मिल्क विलेज बनाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मांगों को लेकर उनकी संस्था ने राज्य सरकार को तीन महीने का समय दिया है और यदि कोई कदम नहीं उठाया जाता है तो संस्था दिसपुर से लेकर दिल्ली तक धरना-प्रदर्शन करेगी।

टिकट को लेकर प्रदेश भाजपा में सुगबुगाहट, आहलुवालिया को लगा तगड़ा झटका

टिकट को लेकर प्रदेश भाजपा में सुगबुगाहट, आहलुवालिया को लगा तगड़ा झटका गुवाहाटी,2 अक्टूबर। लोकसभा चुनाव की आहट सुनते ही असम प्रदेश भाजपा में टिकट के दावेदारों की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कई युवा नेता टिकट के लिए अभी से जुगाड़ लगाने और बड़े नेताओं की चापलूसी में लग गए हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो कई बुजुर्ग नेताओं के टिकट छीनने की फिराक में लग गए हैं। खासकर पार्टी के चारों सांसदों की सीट पर युवाओं की नजर है। इनका कहना है कि इन बुजुर्ग नेताओं को अब संगठन का काम सौंप दिया जाए। पिछले दिनों पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता जयंत दास पार्टी छोड़ कर असम गण परिषद में इसलिए चले गए कि उन्हें पार्टी टिकट देने की गारंटी नहीं दे रही थी। दास के जाने से असम प्रदेश भाजपा प्रभारी एसएस आहलुवालिया को तगड़ा झटका लगा है। क्योंकि आहलुवालिया के आते ही पार्टी मेंे अगप के एक वरिष्ठ नेता अतुल बोरा शामिल हो गए थे। बोरा के आने से दिसपुर विधानसभा की सीट पार्टी के लिए सुरक्षित हो गई है। लेकिन बोरा के आने के बाद से दिसपुर सीट के दावेदार जयंत दास चाह रहे थे कि उन्हें गुवाहाटी लोकसभा सीट के लिए टिकट दिया जाए। पार्टी नेताओं ने बताया कि संसदीय सीटों पर पहले से जमे जमाए नेताओं और परंपरागत दावेदारों और युवा नेताओं के खिलाफ शीत युद्ध शुरु हो गई है। युवा दावेदार क्षेत्रों में जाकर जहां कार्यकर्त्ताओं को अपनी मजबूत दावेदारी के बारे में बता रहें हैं वहीं वर्तमान सांसद और पिछले चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार-प्रसार भी कर रहें हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि तीन बार लगातार नगांव सीट जीतने वाले राजेन गोहांई के खिलाफ पिछले दिनों किसी ने पूरे नगांव शहर में पोस्टर लगा दिया। इस पोस्टर में लिखा था- राजेन हटाओं भाजपा बचाओं। इसी तरह से गुवाहाटी, मंगलदै और शिलचर सहित तमाम संसदीय क्षेत्रों में युवा भाजपाई अपने बुजुर्ग दावेदारों के खिलाफ मुहिम चला रहें हैं। सूत्रों ने बताया कि कई युवा नेता वर्तमान सांसद विजया चक्रवर्ती से भी सीट छीनने के जुगाड़ में लगे हुए हैं। वहीं पार्टी के भितर इस बात पर जोरदार बहस चल रही है कि पिछले चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी को टिकट न देकर नए चेहरे को मौका दिया जाए। जबकि पूर्व में हार की मुंह खा चुके नेताओं को लगता है कि मोदी की लहर में इस बार उनका बेड़ा पार लग जाए। इसलिए हारे हुए प्रत्याशी भी टिकट के लिए अभी से जोर अजमाइश करने लगे हैं। इस संबंध में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि टिकट के लिए नेताओं की बीच जंग तो छीड़ गई है लेकिन वर्तमान सांसदों से टिकट छीनना संभव नहीं लगता है। क्योंकि पिछले महीने राज्य के दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने प्रदेश के नेताओं के सामने वर्तमान सांसदों को उसी सीट से लड़ने के बारे में साफ कर दिया था।
टिकट को लेकर प्रदेश भाजपा में सुगबुगाहट, आहलुवालिया को लगा तगड़ा झटका गुवाहाटी,2 अक्टूबर। लोकसभा चुनाव की आहट सुनते ही असम प्रदेश भाजपा में टिकट के दावेदारों की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। कई युवा नेता टिकट के लिए अभी से जुगाड़ लगाने और बड़े नेताओं की चापलूसी में लग गए हैं। वहीं कुछ ऐसे भी हैं जो कई बुजुर्ग नेताओं के टिकट छीनने की फिराक में लग गए हैं। खासकर पार्टी के चारों सांसदों की सीट पर युवाओं की नजर है। इनका कहना है कि इन बुजुर्ग नेताओं को अब संगठन का काम सौंप दिया जाए। पिछले दिनों पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता जयंत दास पार्टी छोड़ कर असम गण परिषद में इसलिए चले गए कि उन्हें पार्टी टिकट देने की गारंटी नहीं दे रही थी। दास के जाने से असम प्रदेश भाजपा प्रभारी एसएस आहलुवालिया को तगड़ा झटका लगा है। क्योंकि आहलुवालिया के आते ही पार्टी मेंे अगप के एक वरिष्ठ नेता अतुल बोरा शामिल हो गए थे। बोरा के आने से दिसपुर विधानसभा की सीट पार्टी के लिए सुरक्षित हो गई है। लेकिन बोरा के आने के बाद से दिसपुर सीट के दावेदार जयंत दास चाह रहे थे कि उन्हें गुवाहाटी लोकसभा सीट के लिए टिकट दिया जाए। पार्टी नेताओं ने बताया कि संसदीय सीटों पर पहले से जमे जमाए नेताओं और परंपरागत दावेदारों और युवा नेताओं के खिलाफ शीत युद्ध शुरु हो गई है। युवा दावेदार क्षेत्रों में जाकर जहां कार्यकर्त्ताओं को अपनी मजबूत दावेदारी के बारे में बता रहें हैं वहीं वर्तमान सांसद और पिछले चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार-प्रसार भी कर रहें हैं। पार्टी सूत्रों ने बताया कि तीन बार लगातार नगांव सीट जीतने वाले राजेन गोहांई के खिलाफ पिछले दिनों किसी ने पूरे नगांव शहर में पोस्टर लगा दिया। इस पोस्टर में लिखा था- राजेन हटाओं भाजपा बचाओं। इसी तरह से गुवाहाटी, मंगलदै और शिलचर सहित तमाम संसदीय क्षेत्रों में युवा भाजपाई अपने बुजुर्ग दावेदारों के खिलाफ मुहिम चला रहें हैं। सूत्रों ने बताया कि कई युवा नेता वर्तमान सांसद विजया चक्रवर्ती से भी सीट छीनने के जुगाड़ में लगे हुए हैं। वहीं पार्टी के भितर इस बात पर जोरदार बहस चल रही है कि पिछले चुनाव में हारे हुए प्रत्याशी को टिकट न देकर नए चेहरे को मौका दिया जाए। जबकि पूर्व में हार की मुंह खा चुके नेताओं को लगता है कि मोदी की लहर में इस बार उनका बेड़ा पार लग जाए। इसलिए हारे हुए प्रत्याशी भी टिकट के लिए अभी से जोर अजमाइश करने लगे हैं। इस संबंध में पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि टिकट के लिए नेताओं की बीच जंग तो छीड़ गई है लेकिन वर्तमान सांसदों से टिकट छीनना संभव नहीं लगता है। क्योंकि पिछले महीने राज्य के दौरे पर आए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने प्रदेश के नेताओं के सामने वर्तमान सांसदों को उसी सीट से लड़ने के बारे में साफ कर दिया था।