शनिवार, 23 जुलाई 2011

तेलांगाना की तरह असम में बोड़ोलैंड राज्य की मांग हुई तेज
गुवाहाटी , 23 जुलाई। बीटीसी के गठन से बोरो समुदाय के लोगों को कोई लाभ न होने की बात कहते हुए इंडिजिनियस एंड ट्रायबल पीपल्स आर्गनाइजेशन आफ नार्थ ईस्ट इंडिया के अध्यक्ष जेब्रा राम मुसाहारी ने कहा है कि बोड़ो समुदाय का विकास और भविष्य की सुरक्षा बिना बोड़ोलैंड राज्य के गठन के नहीं हो सकता। उन्होंने कहा है कि वर्ष 2013 तक हर हाल में अलग बोड़ोलैंड राज्य का गठन कर लिया जाएगा।आज यहां गुवाहाटी प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मुसाहारी ने कहा कि बीटीसी के गठन से बोड़ो इलाके का कोई आर्थिक विकास नहीं हुआ है। बोड़ो समुदाय का पिछड़ापन बना हुआ है और यदि विकास हुआ है तो सिर्फ बीटीसी प्रशासन के मुट्ठी भर लोगों का। इसलिए बोड़ों समुदाय चाहता है कि केन्द्र की सरकार उनकी भावनाओं को समझे और एक ऐसे राज्य के गठन की मंजूरी दे जहां न सिर्फ बोड़ो बल्कि वहां निवास करने वाले सभी जाति और समुदाय के लोगों का सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके। उन्होंने बताया बोड़ोलैंड राज्य के गठन की मांग करने वाले 56 संगठनों ने एकजुट होकर अलग राज्य की मांग को तेज करने का निर्णय लिया है। जिसका पूर्वोत्तर के सभी 212तथा देश के करीब 500 से भी अधिक जनजातीय समुदायों के संगठनों ने नैतिक समर्थन देने का वादा किया है।मुसाहारी ने कहा कि बीटीसी पर से बोड़ो समुदाय का विश्वास खत्म हो गया है क्योंकि मेघालय के बजट (दो हजार आठ सौ करोड़) से भी अधिक राशि (तीन सौ करोड़) बीटीसी को मिलने के बाद भी बोड़ो इलाके का कोई विकास नहीं हुआ है।यह पूछने पर कि बोड़ोलैंड को अलग राज्य का दर्जा देने के बाद अलग कामतापुर राज्य की मांग करने वालों का क्या होगा, तो मुसाहारी ने कहा कि इन संगठनों के साथ बैठ कर मामला सुलझाया जा सकता है। यह कहने पर कि बोड़ों समुदाय के विकास का क्या सिर्फ अलग राज्य का गठन ही समाधान है, तो जेब्रा ने कहा कि जनजातीयों की सबसे बड़ी समस्या बांग्लादेशी घुसपैठ है,ये घुसपैठिए जनजातीयों का जमीन कब्जा कर रहें हैं और जनजातीय लोग अपनी पहचान बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय लोग अब राज्य की सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते। क्योंकि यहां की सरकार जनजातीयों की सुरक्षा के लिए कभी नहीं सोंचती है। उनकी सोंच सिर्फ धन और बाहुबल के सहारे सत्ता हासिल करना होता है। नीरजझा/23 जुलाई

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें