शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010
बिहार के इस चुनाव में जनता सरकार की नहीं अपने भाग्य का फैसला करेंगे
बिहार के इस चुनाव में मतदाता अपने भाग्य का फैसला करेंगे। चुनाव नतीजे बताएँगे की वहां के लोगो को भूख, गरीबी ,बेरोजगारी और तिरस्कार की जिन्दगी जीना है या फिर उसमे बदलाव लाना है। इमानदारी से देखा जाये तो पिछले पाच में वहां की फिजा बदलने लगी थी । लेकिन जाती के मक़ारजाल में फंसे लोगों को अपनी जाती से बढ़ कर आगे कहाँ कुछ दीखता है । कोई सरकार रोड बना दे, बिजली की व्यबस्था कर दे ,स्कूल खोल दे कानून व्यबस्था ठीक कर दे , कौन देखता है । सबको अपनी जाती चाहिए । मैंने अपने घर कल फ़ोन लगाया पता चला पिताजी इस बार कांग्रेस को बोट देंगे .क्योंकि नितीश जी सिर्फ छोटी जाती के लोगों को देखते हैं .लेकिन वे भूल गए की दुसरे नेता की तरह नितीश ब्राहमणों को गली नहीं देते । नितीश के कारन बिहार से बहार रहने वाले लोगों का मन बाधा है। थानेदार लोगो की शिकायत सुनाने लगा है। गाँव में बिजली आ गई है। पहली बार गाँव की सड़कें पकी बन गई। अब उनका बेटा या सम्बन्धी बाहर से गाँव आते समय रिक्शा से गिरता नहीं है। गाँव की सरके पर बहते पानी में कोई इंजिनियर डूबता नहीं है। प्रसव के दौरान और साप काटने पर होने वाली मौत की संख्या कम हो गई , क्योंकि पक्की सड़क के सहारे जल्द से जल्द लोग अस्पताल पहुँच जाते हैं । वे कहते हैं कांग्रेस ही ठीक है। आखिर क्यों इसलिए की जगनाथ मिश्र ने घटिया राजनीती कर ब्राहमणों को बदनाम किया। और फिर लालू जैसे एक कट्टर वादी को जिसने जातियों को लारने का काम किया। बिहार को जंगल राज बना दिया उससे मदद किया। १५ सालों में बिहारने जो दर्द सहा है वह कांग्रेस की दें है। बिहार में अगली सरकार नितीश की बने या न बने लेकिन यह तय है की जब इतिहास लिखा जायेगा तो नितीश सरकार को गिराने वाले लोग जो जाति और समुदाय के निहित स्वार्थ में नितीश के विरोध में वोट दे रहें हैं उनका नाम काले अक्षरों में लिखा जायेगा। और फिर नयी पीढ़ी कभी माफ नहीं करेगी।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें