शनिवार, 23 जुलाई 2011

अरण्य सुरक्षा समिति की सरकार को वन भूमि को पट्टा न देने की चेतावनी
गुवाहाटी, 23 जुलाई। वन भूमि पर अवैध बांग्लादेशियों के कब्जे ़ओर सरकार द्वारा ़उन्हें भूमि का पट्ठा देने के खिलाफ असम के वपन प्रेमी संगठन ेेएकजुट होकर आवाज लगाने लगे हैं। अरण्य सुरक्षा समिति ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि सरकार वन भूमि को पट्टा देने की भूल न करें।समिति ने कहा है कि वन भूमि सुरक्षा कानून और भूमि अधिकार कानून दो अलग-अलग चीज है और दोनों को एक नजरिए से देखने की भूल यदि सरकार करती है राज्य के वन प्रेमी संगठनें चुप नहीं बैठेंगी और जोरदार आंदोलन चलाया जाएगा।समिति की ओर से आज यहां गुवाहाटी प्रेस क्लब में अरण्य भूमि की सुरक्षा विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें समिति के अध्यक्ष पार्वती बरुवा तथा महासचिव हरिचरण दास सहित अन्य कई वन प्रेमी संगठनों के सदस्यों ने वन भूमि की सुरक्षा और वर्तमान हालात पर अपने विचार रखे। चर्चा में भाग लेते हुए ज्यादातर वक्ताओं ने वन भूमि पर संदिग्ध नागरिकों के कब्जे पर गहरी चिंंता व्यक्त करते हुए कहा कि इसके पीछे सरकार की साजिश दिखती है।चर्चा में भाग लेते हुए वन सुरक्षा के कार्यों में लगे दिलीप नाथ ने कहा कि सोनाई-रूपाई अभयारण्य की जमीन पर संदिग्ध लोगों का कब्जा लगातार जारी है और प्रशासन खुली छूट दे रखा है। उन्होंने बताया कि दोपहर दो बजे के बाद जहां लोग जाने से डरते थे ,वहां अब 30 हजार की आबादी है और चुनाव के समय अलग से यहां मतदान केन्द्र बनाए जाते हैं। श्री नाथ ने बताया कि सूचना के अधिकार कानून के सहारे जानकारी मिली है कि चुनाव आयोग की मंजूरी के बिना ही सोनाई-रूपाई अभयारण्य में मतदान केन्द्र बनाया जाता रहा है। जो पूरी तरह से संदिग्ध लोगों को प्रश्रय देने की सरकारी साजिश का पर्दाफास करता है। चर्चा में भाग लेते हुए राकेश साउद तथा वरिष्ठ पत्रकार अदीप फूकन ने वनों की भूमि पर हो रहे अतिक्रमण पर गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि सत्ता में बैठे लोग सरकारी धनों को लूटने के लिए वनों की भूमि को खत्म करने पर तुले हुए हैं। इस मौके पर कई अन्य वक्ताओं ने वनों की भूमि को बचाने के लिए सभी संगठनों को एकजुट होकर काम करने की बातों पर बल दिया। राकेश ने कहा कि वनों में रहने वाले लोगों से वनों का कोई खतरा नहीं है। खतरा है तो सिर्फ दखलकारियों से। क्योंकि वनों में रहने वाले जनजातीय वनों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते बल्कि उसकी सुरक्षा करते है।नीरजझा/23 जुलाई
तेलांगाना की तरह असम में बोड़ोलैंड राज्य की मांग हुई तेज
गुवाहाटी , 23 जुलाई। बीटीसी के गठन से बोरो समुदाय के लोगों को कोई लाभ न होने की बात कहते हुए इंडिजिनियस एंड ट्रायबल पीपल्स आर्गनाइजेशन आफ नार्थ ईस्ट इंडिया के अध्यक्ष जेब्रा राम मुसाहारी ने कहा है कि बोड़ो समुदाय का विकास और भविष्य की सुरक्षा बिना बोड़ोलैंड राज्य के गठन के नहीं हो सकता। उन्होंने कहा है कि वर्ष 2013 तक हर हाल में अलग बोड़ोलैंड राज्य का गठन कर लिया जाएगा।आज यहां गुवाहाटी प्रेस क्लब में संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मुसाहारी ने कहा कि बीटीसी के गठन से बोड़ो इलाके का कोई आर्थिक विकास नहीं हुआ है। बोड़ो समुदाय का पिछड़ापन बना हुआ है और यदि विकास हुआ है तो सिर्फ बीटीसी प्रशासन के मुट्ठी भर लोगों का। इसलिए बोड़ों समुदाय चाहता है कि केन्द्र की सरकार उनकी भावनाओं को समझे और एक ऐसे राज्य के गठन की मंजूरी दे जहां न सिर्फ बोड़ो बल्कि वहां निवास करने वाले सभी जाति और समुदाय के लोगों का सामाजिक और आर्थिक विकास हो सके। उन्होंने बताया बोड़ोलैंड राज्य के गठन की मांग करने वाले 56 संगठनों ने एकजुट होकर अलग राज्य की मांग को तेज करने का निर्णय लिया है। जिसका पूर्वोत्तर के सभी 212तथा देश के करीब 500 से भी अधिक जनजातीय समुदायों के संगठनों ने नैतिक समर्थन देने का वादा किया है।मुसाहारी ने कहा कि बीटीसी पर से बोड़ो समुदाय का विश्वास खत्म हो गया है क्योंकि मेघालय के बजट (दो हजार आठ सौ करोड़) से भी अधिक राशि (तीन सौ करोड़) बीटीसी को मिलने के बाद भी बोड़ो इलाके का कोई विकास नहीं हुआ है।यह पूछने पर कि बोड़ोलैंड को अलग राज्य का दर्जा देने के बाद अलग कामतापुर राज्य की मांग करने वालों का क्या होगा, तो मुसाहारी ने कहा कि इन संगठनों के साथ बैठ कर मामला सुलझाया जा सकता है। यह कहने पर कि बोड़ों समुदाय के विकास का क्या सिर्फ अलग राज्य का गठन ही समाधान है, तो जेब्रा ने कहा कि जनजातीयों की सबसे बड़ी समस्या बांग्लादेशी घुसपैठ है,ये घुसपैठिए जनजातीयों का जमीन कब्जा कर रहें हैं और जनजातीय लोग अपनी पहचान बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रहें हैं। उन्होंने कहा कि जनजातीय लोग अब राज्य की सरकार पर भरोसा नहीं कर सकते। क्योंकि यहां की सरकार जनजातीयों की सुरक्षा के लिए कभी नहीं सोंचती है। उनकी सोंच सिर्फ धन और बाहुबल के सहारे सत्ता हासिल करना होता है। नीरजझा/23 जुलाई

रविवार, 17 जुलाई 2011

पूंजीपतियों के हाथों चलने वाली कठपुतली है गोगोई की सरकार -विजया
गुवाहाटी,। गुवाहाटी की सांसद तथा भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव विजया चक्रवर्ती ने कहा है कि मुख्यमंत्री तरुण गोगोई की सरकार बड़े पूंजिपतियों के हाथों की एक कठपुतली सरकार है। यह सरकार सिर्फ और सिर्फ बड़े पूंजिपतियों को लाभ पहुंचाने के लिए काम कर रही है।इनका जनता से कोई वास्ता नहीं है। चाहे बड़े नदी बांध का मुद्दा हो या बजट हर जगह पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के मकसद से यह सरकार काम करती है।आज यहां अपने निवास पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए गुवाहाटी की सांसद ने कहा कि चुनाव से पहले गरीबों के मसीहा की तरह बात करने वाली राज्य की सरकार का चुनाव जीतने के बाद सुर बदल गया है। चुनाव से पहले बड़े नदी बांध के मुद्दे पर चुप्पी साध रखी सरकार के मुुखिया तरुण गोगोई अब चिल्ला-चिल्ला कर नदी बांध के मुद्दे पर बोल रहें हैं। लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि फिलहाल धेमाजी और लखीमपुर में जो बाढ़ का प्रकोप दिख रहा है वह सिर्फ एक नमूना है और बांध बनने के बाद का आलम क्या होगा।विजया ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विकास की ढ़ोल सरकार पीट रही है, जबकि सच्चाई यह है कि राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य की स्थिति अत्यंत दयनीय है और मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के कार्यकाल में कोई सुधार नहीं हुआ है।शिशू मृत्यु दर में कमी नहीं आ रही है और अस्पतालों में चिकित्सकऔर स्कूलों में शिक्षक नहीं है। उन्होंने सरकार से पूछा है कि यदि इस क्षेत्र में सुधार हुआ है तो खासकर विधायकों और नेताओं के बच्चे राज्य से बाहर पढ़ने और इलाज कराने क्यों जाते हैं। यह पूछने पर कि क्या उनकी पार्टी बड़े नदी बांध के खिलाफ है तो विजया ने कहा कि ऐसा कदापि नहीं है। मैदानी भागों में बांध के विरोध का कोई मतलब नहीं है लेकिन यहां विरोध इसलिए किया जा रहा है कि यह क्षेत्र भूकंप प्रभावित होने के साथ पहाड़ी इलाका है और यहां इस तरह के बांध से भारी नुकसान हो सकता है।एक टेलीविजन चैनल पर प्रसारित खबर का खंडन करते हुए गुवाहाटी की सांसद ने कहा कि उनके द्वारा अनुमोदित सांसद फंड में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। वे कोई भी काम ठेकेदारों के बदले स्थानीय लोगों द्वारा बनाई गई कमिटी को देेती हैं जहां गड़बड़ी की संभावनाएं नहीं के बराबर होती है। नीरजझा/17 जुलाई/2011

बुधवार, 6 जुलाई 2011

कांग्रेस के युवराज की संवेदना उन गरीबों पर उमडती है जिनसे

कांग्रेस के युवराज की संवेदना उन गरीबों पर उमडती है जिनसेराजनीतिक मुनाफा होता है- संदीप पाण्डेय
गुवाहाटी / मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानीत सदीप पांडेय ने केन्द्रकी यूपीए सरकार को अवसरवादी करार देते हुए कहा है कि कांग्रेस केयुवराज की संवदेनशीलता उन गरीबों के साथ उमडती है जिससे उनकाराजनीतिक मुनाफा सधता है।उन्होंने कांग्रेस पार्टी से पूछा है कि भट्टा परसौल में पदयात्रा करनेवाले कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी गुवाहाटी के उन लोगों कीखैरियत पूछने क्यों नहीं आते हैं जिनका आशियाना उनकी सरकार ने हीउजाड दिया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधीकी संवेदनशीलता वहीं दिखती है जहां उनका राजनीतिक मुनाफा सधता है।आज यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए पांडे ने सवालिया लहजे मेंकहा कि क्या भट्टा परसौल के गरीब गरीब हैं और गुवाहाटी के पहाडोंपर बसे गरीब गरीब नहीं हैं। इन दोनों में कांग्रेस पार्टी और राहुल गांधीको क्या अंतर दिखता है। यदि कोई अंतर नहीं है तो राहुल गांधी यहांआकर उन लोगों की खबर क्यों नहीं लेते जिनका घर उनकी पार्टी कीसरकार ने तोड दिया है और विरोध करने पर तीन लोगों को मौत केघाट उतार दिया। उन्होंने कहा कि आखिर यह कैसी विडंबना है कि यूपीमें किसानों और गरीबों से जमीन छीने जाने के खिलाफ कांग्रेसमहासचिव राहुल गांधी पदयात्रा करते हैं और दूसरी तरफ उनकी पार्टी कीअसम सरकार यदि गरीबों पर अत्याचार करती है तो कुछ नहीं बोलते हैं। श्रीपांडे ने कहा कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए भूमि अधिग्रहण और वन कानूनके सहारे गरीबों को न उजाडने की वकालत करने वाले राहुल गांधीको असम के लोगों को बताना चाहिए कि मुख्यमंत्री तरुण गोगोई कीसरकार बुल्डोजर चला कर लोगों का घर क्यों उजाड रही है। गुवाहाटी से नीरज झा की रिपोर्ट

शनिवार, 2 जुलाई 2011

सिर्फ शिक्षकों को ही क्यों सभी सरकारी अधिकारियों को पत्रकारिता में
क्यों न लगा दिया जाए
कैसा रहेगा यदि सभी सरकारी पदाधिकारियों व कर्मचारियों को पत्रकारिता में
भी लगा दिया जाए
गुवाहाटी। यदि कोई सरकारी शिक्षक पत्रकारिता कर सकता है तो तो सरकारी
अधिकारी ऐसा क्यों नहीं कर सकते। कैसा हो यदि जिला उपायुक्त और पुलि स
अधीक्षक से लेकर सरकारी कार्यलयों में काम करने वाले बाबू भी नौकरी करने
के साथ पत्रकारिता करने लगे। जी यह मैं नहीं असम के शिक्षा मंत्री डा.
हिमंत विश्च शर्मा का सवाल है। सरकारी शिक्षकों पर पत्रकारिता करने से
रोक लगाने वाले इस शिक्षा मंत्री ने उनके इस कदम के विरोध करने वालों से
यह सवाल किया है। उन्होंने कहा है कि सिर्फ शिक्षक ही पत्रकारिता क्यों
करे। यदि शिक्षक को यह छूट मिलता है कि वे बच्चे को पढ़ाने से ज्यादा दिन
भर स्कूल में बैठ कर आज की स्टोरी के बारे में सोंचे तो फिर दूसरे
सरकारी अधिकारियों को ऐसा लाभ क्यों न मिले। पिछले दिनों पत्रकारों ने
शिक्षा मंत्री से सवाल किया कि क्या वे शिक्षकों को पत्रकारिता न करने
देने के फैसले पर अटल हैं, तो डा. शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने राज्य
के बुद्धिजीवियों और अखबार के संपादकों को पत्र लिख कर पूछा है कि उनकी
राय में क्या शिक्षकों को पत्रकारिता करने की छूट दी जानी चाहिए। और यदि
दिया जाना चाहिए तो फिर अन्य सरकारी पदाधिकारियों और कर्मचारियों को
क्यों नहीं। मंत्री महोदय ने उल्टे पत्रकारों से पूछ डाला कि क्यों न
सारे अधिकारियों को पत्रकारिता में लगा दिया जाए ताकि आप लोगों को स्टोरी
खोजने के लिए दिन भर सरकारी कार्यालयों का खाक न छानना पड़े। गुवाहाटी से
नीरज झा की रिपोर्ट